अगर आप किसी ज़मीन या मकान के मालिक हैं और आपने उस पर लंबे समय से ध्यान नहीं दिया है, तो अब सतर्क हो जाना ज़रूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया है, जो हर प्रॉपर्टी मालिक और किराएदार को जानना चाहिए। यह फैसला “प्रतिकूल कब्जा” (Adverse Possession) से जुड़ा है और यह बताता है कि अगर कोई व्यक्ति आपकी प्रॉपर्टी पर 12 साल तक कब्जा बनाए रखता है, तो वह उसका मालिक भी बन सकता है।
क्या है लिमिटेशन एक्ट 1963 का नियम?
लिमिटेशन एक्ट 1963 की धारा 65 कहती है कि अगर कोई व्यक्ति लगातार 12 साल तक किसी निजी प्रॉपर्टी पर कब्जा करके बैठा रहता है और असली मालिक उस पर कोई आपत्ति नहीं जताता, तो वह व्यक्ति कानूनी रूप से उस प्रॉपर्टी का मालिक बन सकता है। इस प्रक्रिया को ही Adverse Possession कहा जाता है। हालांकि, यह नियम सिर्फ निजी संपत्तियों पर लागू होता है, सरकारी ज़मीन पर नहीं।
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मालिकाना हक पाने के लिए क्या जरूरी है?
केवल कब्जा करना ही काफी नहीं है। अगर कोई व्यक्ति कोर्ट में जाकर प्रॉपर्टी का मालिकाना हक मांगता है, तो उसे यह साबित करना होगा कि वह 12 साल से वहां लगातार रह रहा है। इसके लिए बिजली का बिल, पानी का बिल, प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद, और अन्य दस्तावेज कोर्ट में पेश करने होंगे। यह भी साबित करना होगा कि असली मालिक ने इस दौरान कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की।
सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला क्या कहता है?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए फैसले में साफ कहा है कि अगर कोई व्यक्ति 12 साल तक किसी प्रॉपर्टी पर कब्जा करके बैठा है और मालिक ने कोई आपत्ति नहीं की, तो वह व्यक्ति उस संपत्ति का मालिक बन सकता है। इतना ही नहीं, अगर प्रॉपर्टी का असली मालिक अचानक उस कब्जाधारी को हटाने की कोशिश करता है, तो कब्जाधारी कोर्ट जाकर केस भी कर सकता है।
पुराने फैसले को पलटा गया है
2014 में सुप्रीम कोर्ट ने एक अलग रुख अपनाया था, जिसमें कहा गया था कि केवल लंबे समय तक रहने से कोई व्यक्ति प्रॉपर्टी का मालिक नहीं बन सकता। लेकिन अब इस फैसले को बदलते हुए कोर्ट ने माना है कि अगर मालिक ने चुप्पी साधे रखी और कब्जाधारी लगातार रह रहा है, तो वह मालिकाना हक पा सकता है।
कैसे करें अपनी प्रॉपर्टी की सुरक्षा?
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रेंट एग्रीमेंट बनवाएं: अगर आपने मकान, दुकान या कोई फ्लैट किराए पर दिया है, तो हमेशा 11 महीने का लिखित रेंट एग्रीमेंट बनवाएं और हर 11 महीने बाद उसे रिन्यू कराएं।
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लिखित समझौता जरूरी: यदि कोई रिश्तेदार या परिचित आपकी प्रॉपर्टी में रह रहा है, तो उनके साथ भी कोई लिखित समझौता ज़रूर करें।
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प्रॉपर्टी पर विज़िट करें: समय-समय पर अपनी प्रॉपर्टी पर जाएं और देखें कि वहां क्या हो रहा है। इससे यह संदेश जाएगा कि प्रॉपर्टी छोड़ी नहीं गई है।
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दस्तावेज अपडेट रखें: बिजली, पानी और टैक्स जैसे सभी दस्तावेज अपने नाम पर रखें और समय से जमा करते रहें।
निष्कर्ष
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अगर आप प्रॉपर्टी के मालिक हैं तो यह फैसला आपके लिए चेतावनी है। अपनी प्रॉपर्टी पर लगातार ध्यान देना और कानूनी दस्तावेज तैयार रखना अब पहले से ज्यादा ज़रूरी हो गया है। कब्जे की स्थिति बनने से पहले सतर्क रहना ही सबसे अच्छा उपाय है।
डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से लिखा गया है। कानून में समय-समय पर बदलाव हो सकते हैं। किसी भी कानूनी कार्रवाई से पहले संबंधित वकील या प्राधिकरण से परामर्श अवश्य लें।