अब बिना रजिस्ट्री भी मिल सकता है मालिकाना हक – जानें सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला Supreme Court Rules

By Shruti Singh

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Supreme Court Rules

भारत में लाखों लोग ऐसे मकानों या जमीनों पर रह रहे हैं, जिनकी रजिस्ट्री उनके नाम नहीं है। ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट का एक अहम फैसला सामने आया है, जो ऐसे लोगों को राहत देने वाला है। कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ रजिस्ट्री न होने से कोई व्यक्ति मालिकाना हक से वंचित नहीं रहेगा, बशर्ते उसके पास कब्जे के पुख्ता सबूत हों।

योजना के लिए आवेदन करें

अब तक क्या होता था?

अब तक देश में यही नियम चलता आया है कि जमीन या मकान का असली मालिक वही होता है, जिसके नाम रजिस्ट्री होती है। लेकिन कई बार लोग सालों से किसी प्रॉपर्टी पर रह रहे होते हैं, उसका रखरखाव कर रहे होते हैं, बिजली-पानी के बिल भर रहे होते हैं, टैक्स भी दे रहे होते हैं — फिर भी वे कानूनी रूप से मालिक नहीं माने जाते, क्योंकि उनके पास रजिस्ट्री नहीं होती।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने इस पुराने नियम पर सवाल उठाया और फैसला सुनाते हुए कहा कि:

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किन्हें मिलेगा इस फैसले का फायदा?

यह फैसला उन लोगों के लिए फायदेमंद है:

मालिकाना हक पाने के लिए क्या करें?

अगर आप ऐसे कब्जे में हैं और अब मालिकाना हक चाहते हैं, तो आपको ये स्टेप्स अपनाने होंगे:

  1. स्थानीय रजिस्ट्री कार्यालय में आवेदन देना होगा।

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  2. अपने कब्जे से जुड़े दस्तावेज जैसे बिजली बिल, पानी का बिल, टैक्स रसीद आदि जमा करें।

  3. स्थानीय अधिकारियों से कब्जे की पुष्टि करवाएं।

  4. पुलिस से NOC (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लें।

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  5. किसी वकील या कानूनी सलाहकार की मदद से कब्जे का दावा कोर्ट में पेश करें।

फर्जीवाड़े से बचने की भी चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस फैसले का गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। कोई भी व्यक्ति:

इसलिए प्रशासन को पारदर्शी और मजबूत प्रक्रिया बनानी होगी ताकि सही व्यक्ति को ही हक मिले

इस फैसले से क्या बदलेगा?

इस फैसले के कई बड़े प्रभाव होंगे:

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क्या अब रजिस्ट्री जरूरी नहीं रही?

नहीं, ऐसा नहीं है। रजिस्ट्री अब भी सबसे मजबूत और मान्य दस्तावेज है। अगर आप जमीन खरीद रहे हैं या बेच रहे हैं, तो रजिस्ट्री सबसे जरूरी है। लेकिन इस फैसले ने उन लोगों के लिए रास्ता खोला है, जिनके पास रजिस्ट्री नहीं है लेकिन लंबे समय से जमीन पर कब्जा है

कब लागू होगा यह नियम?

यह फैसला फिलहाल केस-टू-केस बेसिस पर लागू होगा। यानी कोई व्यक्ति कोर्ट में जाकर अपना दावा करेगा और सबूत पेश करेगा, तभी उसे मालिकाना हक मिल पाएगा। भविष्य में सरकार इसके लिए नियम बना सकती है जिससे आम लोग आवेदन देकर आसानी से इस प्रक्रिया में शामिल हो सकें

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निष्कर्ष: कब्जा और दस्तावेज – दोनों जरूरी

यह फैसला उन करोड़ों लोगों के लिए उम्मीद की किरण है, जो सालों से बिना रजिस्ट्री की जमीन पर रह रहे हैं। अब वे अपने हक की लड़ाई कानूनी रूप से लड़ सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे — सिर्फ कब्जा नहीं, पुख्ता और ईमानदार दस्तावेज भी जरूरी हैं

अगर आप भी ऐसे ही किसी कब्जे में रह रहे हैं, तो अब आपके पास कानूनी रास्ता है। दस्तावेज तैयार करें, कानूनी सलाह लें और ईमानदारी से अपने अधिकार के लिए आगे बढ़ें।

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Shruti Singh

Shruti Singh is a skilled writer and editor at a leading news platform, known for her sharp analysis and crisp reporting on government schemes, current affairs, technology, and the automobile sector. Her clear storytelling and impactful insights have earned her a loyal readership and a respected place in modern journalism.

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